नमस्कार और जय सैन जी महाराज की, आदरणीय समाज बंधुओ यहाँ हम आपके लिए सैन समाज के सैनाचार्य जी श्री श्री 1008 सैनाचार्य स्वामी अचलानन्द गिरि महाराज के जीवन का परिचय आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं । इस जीवनी में हम महाराज श्री के जीवन के शुरूआती दिनों से लेकर उनके सैनाचार्य बनने व सैनाचार्य बनने के बाद अखिल भारतीय सैन समाज के लिए किये गये महत्वपूर्ण कार्यो और मिशन का भी उल्लेख किया जा रहे हैं |
श्री सैनाचार्य जी की इस संक्षिप्त जीवनी को लिखने में श्री .
Brief Biography of Sri Sainacharya Ji
Brief Biography of Sri Sainacharya Ji | Shree Sainaachaary Jee Ki Sankshipt Jivani | श्री सैनाचार्य जी की संक्षिप्त जीवनी : श्री सैनाचार्य जी महाराज का जन्म 30 अप्रेल 1955 को जोधपुर जिले की ओसियां तहसील के एक छोटे से ग्राम ‘खिन्दाकौर’ में श्री राजूरामजी सैन के पुत्र के रूप में हुआ। ईश्वर की कृपा व पूर्वजन्म के उच्च संस्कारों के कारण श्री सैनाचार्यजी बचपन से ही जन कल्याण के लिए बड़े संवेदनशील थेऔर इन कारणों से 14 वर्ष की आयु में ही उन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया और अपनी तपस्या, ध्यान एवं साधना से उनमें आत्मशक्ति जागृत हुई और बाबा रामदेव व रानी नैतलहे के साक्षात्कार होने के बाद सैनाचार्यजी वापस जोधपुर आ गए और राईका बाग, जोधपुर में जुगजोड़ी बाबा रामदेव के मंदिर की स्थापना की। यह मंदिर आज विश्व में मात्र एक ही है।
पिछले 40-50 वर्षों से सैनाचार्य जी बाबा रामदेव जी को अपना आराध्यदेव मानकर सतत वैदिक हवन अनुष्ठान, सत्संग, कीर्तन, आदि करते आ रहे है। मंदिर में 5 बार की आरती भी करते रहे है। धूण पर सैकड़ों हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर में आते हैं और अपनी विभिन्न समस्याओं, बीमारियों के उपचार हेतु सैनाचार्य जी अपने मंत्रों द्वारा उनकी समस्याओं का निवारण करते है। इसके अतिरिक्त सन् 2001 में गुजरात में भयंकर भूकंप आया था, जिसमें भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए सैनाचार्य जी ने कई ट्रकों द्वारा खाने-पीने का सामान, कपड़ें आदि गुजरात भिजवाये और लगभग भूकंप पीड़ितों के लिए 500 मकान बनाने की व्यवस्था करवाई। इसी प्रकार बाड़मेर जिले के कवास में भयंकर बाढ़ आई। इसमें भी बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए खाद्य पदार्थ एवं कपड़े आदि भिजवाये।
सैनाचार्य जी का मुख्य सन्देश समाज को नशामुक्त करने का है और इन्होंने एक नारा दिया है “सैनाचार्य जी का यही सन्देश, नशामुक्त हो सारा देश” और इस दिशा में सैनाचार्य जी जगह-जगह जनसभाएं, सेमिनार, शिविर, आदि का आयोजन करके अपने अभियान को आगे बढ़ा रह हैं। विशेष बात यह है कि सैनाचार्य जी एक गैर राजनीतिक सन्त है और सभी राजनैतिक दलों के नेता इनसे आशीर्वाद लेते रहते है।
सैनाचार्यजी प्रत्येक कुंभ के अवसर पर एक-एक महिने का शिविर लगाते हैं जिनमें हजारों साधु-सन्त, श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भण्डारा व निवास की व्यवस्था करते है।
अखिल भारतीय सैन भक्तिपीठ ट्रस्ट-सैन सम्प्रदाय
14वीं शताब्दी में धार्मिक आन्दोलन के मध्य प्रसिद्ध सन्त स्वामी श्री रामानन्दाचार्य महाराज ने अपने 12 शिष्यों को नामजद किया, जिनमें से एक सन्त श्री सैन जी महाराज थे जो जाति से नाई थे । अपने गुरु के आशीर्वाद एवं दिशा निर्देश से श्री सैन जी महाराज ने सभी मानव-जाति की सेवा तथा कल्याण के लिए जाति वर्ण से ऊपर उठकर एक अभियान प्रारंभ किया। इस संदर्भ में, उन्होंने बहुमूल्य सामाजिक तथा धार्मिक प्रवचनों से जनता जनार्दन को शिक्षित करने का प्रयास किया और उनके इस पवित्र अभियान में सन्त कबीर, रैदास, पीपाजी, भावनन्द जी, सुखानन्दजी और साध्वी सन्त पदमावती तथा सुरसरि ने भी सहयोग किया।
अन्य सभी सन्तों में गुरू शिष्य परम्परा को स्थापित करने के लिए अपनी-अपनी अलग पीठ ; आश्रमद्ध स्थापित किये। काफी समय बाद श्री सैनजी महाराज के उच्चधिकारी एवं अनुयाइयों में जागृति आई और उन्होंने उज्जैन महाकुंभ के अवसर पर सन् 1992 में “अखिल भारतीय सैन भक्तिपीठ ट्रस्ट” की स्थापना की जिसकी मुख्य पीठ तीर्थराज पुष्कर ;अजमेर – राजस्थानद्ध में है और रजिस्टर्ड कार्यालय जुगलजोड़ी बाबा रामदेव मंदिर, राइकाबाग, जोधपुर में स्थापित हुआ और ट्रस्ट को रजिस्टर्ड भी करवाया गया।
सन् 1992 में उज्जैन महाकुंभ के अवसर पर रामानन्द सम्प्रदाय के मुख्य पीठाधीश्वर श्री रामानन्दाचार्य श्री रामनरेशाचार्यजी, काशीपीठ ने अन्य सन्तों की उपस्थिति में स्वामी श्री अचलानन्दजी महाराज को मुकुट पहनाकर सैनाचार्य की पीठ पर बिराजमान करवाया और तब से सैनचार्य स्वामी अचलनन्हाचार्यजी महाराज इस पद को सुशोभित कर रहे है।
सैनाचार्य की सेवा योजनाएँ एवं मिशन
सैनाचार्य स्वामी अचलानन्द गिरि महाराज द्वारा संकल्पित एवं संचालित निम्न सेवा योजनाएँ – एक मिशन :
- नशा मुक्त का दृढ़ संकल्प ।
- प्रदूषण को मिटाकर पर्यावरण को शुद्ध बनाने में तन मन धन का सहयोग ।
- पानी एक जीवनदायी तत्व है अतः इसका व्यर्थ दुरूपयोग न करे। बालिक भ्रूण हत्या पर रोकथाम।
- बालिकाओं की शिक्षा का उत्थान ।
- नारी शक्ति का रूप है। अतः समाज में इनका सम्मान होना चाहिए।
- समाज में सामूहिक विवाह को बढ़ावा देना ।
- माता-पिता एवं गुरूजनों की ईश्वर से भी अधिक सम्मान व पूजा करना ।
- किसी भी जाति-धर्म के वरिष्ठ नागरिक व महिला का पूरा सम्मान व सहयोग करना ।
- समाज के गरीब व शिक्षा में प्रखर छात्र – छात्राओं को छात्रवृत्ति देकर प्रोत्साहित करना ।
- समाज में फैली कुरीतियों को एकजुट होकर समूल नष्ट करने का प्रयास करना ।
- गंगादशमी के अवसर पर यह संकल्प लिया गया कि आस्था की गंगा व अन्य नदियों को स्वच्छ व प्रदुषण मुक्त रखेगें।
- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पूरा विश्व एक परिवार है – भारतीय दर्शन की इस उत्कृष्ट भावना को बढ़ावा देना ।
- भारत के समस्त मन्दिरों का नवीनीकरण व जीर्णोद्धार करना । सर्वधर्म सम्मेलन व सभाओं का आयोजन |
- विधवा, तलाकशुदा, परिव्यक्ता व निर्धन महिलाओं की हर संभव सहायता करना ।
- गौ रक्षा व गौवंश की सुरक्षा के लिए गौशालाएँ स्थापित करके आर्थिक सहायता प्रदान करना ।
- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त योग साधना, अनुष्ठान यज्ञ व सत्संग शब्द कीर्तन को बढ़ावा देना ।
- किसी के भी धर्म परिवर्तन को रोकने में सहयोग करना । सदियों से व्याप्त छूआछूत को जड़ से समाप्त करना ।
- पर्यावरण की रक्षा हेतु सब प्रकार के प्लास्टिक वस्तुओं का बहिष्कार कना व अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर भारत में हरियाली को बढ़ाना ।
- आयुर्वेद पद्धति व जड़ी-बूटियों से निर्मित दवाईयों का अधिक से अधिक उपयोग व प्रचार-प्रसार करना।
सम्पर्क
जी श्री श्री 1008 सैनाचार्य स्वामी अचलानन्द गिरि महाराज
मुख्य कार्यालय
बाबा रामदेव मंदिर, राई का बाग, जोधपुर – 342006
दूरभाष : 02912511220 (मन्दिर), 2511714 (ऑफिस) फैक्स : 02912517389 | मोबाईल : 9829023714
ईमेल: [email protected]